बिछड़ने की शायरी हिंदी में / जुदाई शायरी का संग्रह हिन्दी में पढें बिछडनें और जुदाई शब्द पर शायरी पढें ये किस मोड़ पर तुम्हे बिछड़ने की सूझी,मुद्दतों के बाद तो संवरने लगे थे हम…हालात का तक़ाज़ा था , एक बार मिल के हमबिछड़े कुछ इस अदा से , के दोबारा मिल न सकेंउनकी...
परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहताबडे लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना जहां दरिया समन्दर में मिले, दरिया नहीं रहताहजारों शेर मेरे सो गये कागज की कब्रों में अजब मां हूं कोई बच्चा मेरा ज़िन्दा नहीं...