मैं तेरा मुंतज़िर हूँ मुस्कुरा के मिल
कब तक तुझे तलाश करूँ अब आ के मिल
यूं मिल के फिर जुदाई का लम्हा न आ सके
जो दरमियाँ में है सभी कुछ मिटा के मिल
by ShayariArt | May 4, 2018 | Judai Shayari | 0 comments
मैं तेरा मुंतज़िर हूँ मुस्कुरा के मिल
कब तक तुझे तलाश करूँ अब आ के मिल
यूं मिल के फिर जुदाई का लम्हा न आ सके
जो दरमियाँ में है सभी कुछ मिटा के मिल