कहीं दिन उगा तो कहीं रात हो गयी
कभी कुछ न बोले, कभी बात हो गयी
कहीं दूर तलक न साये दिखे
कहीं दूर सफर तक साथ हो गयी
कभी डरती डरती चली थी सफर में
अब चलते चलते बेबाक हो गयी
कहीं दिन उगा तो कहीं रात हो गयी
कभी कुछ न बोले, कभी बात हो गयी
कहीं दूर तलक न साये दिखे
कहीं दूर सफर तक साथ हो गयी
कभी डरती डरती चली थी सफर में
अब चलते चलते बेबाक हो गयी