पदावली – मीराबाई हृदय की गहरी पीड़ा, विरहानुभूति और प्रेम की तन्मयता से भरे हुए मीरा के पद राजस्थानी, ब्रज और गुजराती भाषाओं में मिलते हैं भाग 1भाग 2भाग 3भाग 4भाग 5भाग 6 भाग-1 अच्छे मीठे फल चाख चाख, बेर लाई भीलणी।ऎसी कहा अचारवती, रूप नहीं एक रती।नीचे कुल ओछी...
मीराबाई की रचना को विरहिणी को दुःख जाणै हो ।।टेक।। जा घट बिरहा सोई लखि है, कै कोई हरि जन मानै हो।रोगी अन्तर वैद बसत है, वैद ही ओखद जाणै हो। विरह करद उरि अन्दर माँहि, हरि बिन सब सुख कानै हो। दुग्धा आरत फिरै दुखारि, सुरत बसी सुत मानै हो। चातग स्वाँति बूंद मन माँहि,...