सावन का मौसम था, पूनम की रात थी, मैं उसके पास था, वो मेरे करीब थी.. फिर वो मेरे पास आई, और थोड़ी सी घबराई, जब मैने उसका हाथ पकड़ा, तो वो थोड़ी सी शरमाई.. उसने कहा आज हम, ऐसे बन्धन में बंध जाऐंगे, जिसे दुनियाँ की, कोई ताकत ना तोड़ पाऐ.. मेरी खुशी का अन्दाज़ा, लगाना...
यूं ही बेवजह कोई कलम नहीं चलाता है जनाब, किसी की तस्वीर तसब्बुर मे होती जरूर है…. अल्फाज यूं ही नहीं आते हैं जहन में, किसी का ख्याल तसब्बुर में होता जरूर है… भले ही बेपरवाह हो हमसफर हमकदम उसका, महक महबूब की तसब्बुर में होती जरूर...