यूं ही बेवजह कोई कलम नहीं चलाता है जनाब, किसी की तस्वीर तसब्बुर मे होती जरूर है…. अल्फाज यूं ही नहीं आते हैं जहन में, किसी का ख्याल तसब्बुर में होता जरूर है… भले ही बेपरवाह हो हमसफर हमकदम उसका, महक महबूब की तसब्बुर में होती जरूर...
“मैं औरत हूँ” इसलिए कभी नहीं थकतीमैं सबके जागने से पहले जागती हूँमैं सबके सोने के बाद सोती हूँक्योंकि मैं एक “औरत” हूँइसलिए कभी नहीं थकतीसुबह गृहस्थी में सिमट जाती हैदोपहर फाइलों के बण्डल मेंशाम कुछ टीवी चैनल पररात उम्मीदों के जंगल मेंदेर रात...