मेरे नसीब का लिक्खा बदल भी सकता था वो चाहता तो मेरे साथ चल भी सकता था ये तूने ठीक किया अपना हाथ खींच लिया मेरे लबों से तिरा हाथ जल भी सकता था मैं ठीक वक़्त में ख़ामोश हो गया वरना मिरे रफ़ीकों का लहेजा बदल भी सकता था merre nasib ka likha badal bhi sakta tha wo chahta...
काश… एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर, वो आकर गले लगा ले, मेरी इजाजत के बगैर Kaash …. Ek Khwahish Puri Ho Ibadad Ke Bgair Wo Aakar Galle Laga Le Meri Izazat Ke...
न जाने इस जिद का नतीजा क्या होगा..!!! समझता दिल भी नही…..!!! मै भी नही, और तुम भी नही….!!! Na Jane Es Jidd Ka Natija Kya Hoga.. Samajhta Dil Bhi Nahi… Mai Bhi Nahi.. Aur Tum Bhi...