वाह रे जमाने तेरी हद हो गई, बीवी के आगे माँ रद्द हो गई !बड़ी मेहनत से जिसने पाला,आज वो मोहताज हो गई !और कल की छोकरी, तेरी सरताज हो गई ! बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई !वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!!पेट पर सुलाने वाली, पैरों में सो रही !बीवी के लिए लिम्का,माँ पानी को...
एक अजीब दास्तान है मेरे अफसाने की, मैने पल पल कोशिश की उसके पास जाने की, किस्मत थी मेरी या साजिश थी ज़माने की, दूर हुई मुझसे इतना जितनी …उम्मीद थी उसके करीब आने...
मैं लोगों से मुलाक़ातों के लम्हे याद रखता हूँ,मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहजे याद रखता हूँ,ज़रा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रवायत से,जो सहारा देते हैं वो कंधे हमेशा याद रखता हूँ...