तन्हा मौसम है और उदास रात हैवो मिल के बिछड़ गये ये कैसी मुलाक़ात है,दिल धड़क तो रहा है मगर आवाज़ नही है,वो धड़कन भी साथ ले गये कितनी अजीब बात...
सब कुछ है नसीब में, तेरा नाम नहीं है दिन-रात की तन्हाई में आराम नहीं हैमैं चल पड़ा था घर से तेरी तलाश में आगाज़ तो किया मगर अंजाम नहीं हैमेरी खताओं की सजा अब मौत ही सही इसके सिवा तो कोई भी अरमान नहीं हैकहते हैं वो मेरी तरफ यूं उंगली उठाकर इस...