मैं लोगों से मुलाक़ातों के लम्हे याद रखता हूँ,मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहजे याद रखता हूँ,ज़रा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रवायत से,जो सहारा देते हैं वो कंधे हमेशा याद रखता हूँ...
गुज़र जाते हैं …..खूबसूरत लम्हें …. यूं ही मुसाफिरों की तरह….यादें वहीं खडी रह जाती हैं ….. रूके रास्तों की तरह…एक “उम्र” के बाद “उस उम्र” की बातें” उम्र भर” याद आती हैं..पर “वह...